- حدیث2 1
- از1تا200 1
- حدیث4 2
- حدیث3 2
- حدیث5 3
- حدیث6 3
- حدیث8 4
- حدیث7 4
- حدیث10 5
- حدیث9 5
- حدیث11 6
- حدیث12 6
- حدیث14 7
- حدیث15 7
- حدیث13 7
- حدیث17 8
- حدیث16 8
- حدیث18 9
- حدیث19 9
- حدیث21 10
- حدیث20 10
- حدیث23 11
- حدیث22 11
- حدیث25 12
- حدیث24 12
- حدیث27 13
- حدیث26 13
- حدیث29 14
- حدیث28 14
- حدیث30 15
- حدیث31 15
- حدیث32 16
- حدیث33 16
- حدیث35 17
- حدیث34 17
- حدیث37 18
- حدیث36 18
- حدیث39 19
- حدیث38 19
- حدیث41 20
- حدیث40 20
- حدیث42 21
- حدیث43 21
- حدیث45 22
- حدیث44 22
- حدیث46 23
- حدیث47 23
- حدیث49 24
- حدیث48 24
- حدیث50 25
- حدیث51 25
- حدیث53 26
- حدیث52 26
- حدیث55 27
- حدیث54 27
- حدیث57 28
- حدیث56 28
- حدیث59 29
- حدیث58 29
- حدیث61 30
- حدیث60 30
- حدیث62 31
- حدیث63 31
- حدیث65 32
- حدیث64 32
- حدیث66 33
- حدیث67 33
- حدیث69 34
- حدیث68 34
- حدیث70 34
- حدیث72 35
- حدیث71 35
- حدیث73 36
- حدیث74 36
- حدیث75 37
- حدیث76 37
- حدیث77 37
- حدیث79 38
- حدیث78 38
- حدیث82 39
- حدیث80 39
- حدیث81 39
- حدیث83 40
- حدیث84 40
- حدیث85 41
- حدیث86 41
- حدیث87 42
- حدیث88 42
- حدیث89 43
- حدیث90 43
- حدیث91 44
- حدیث92 44
- حدیث93 45
- حدیث94 45
- حدیث95 47
- حدیث96 47
- حدیث98 48
- حدیث97 48
- حدیث100 49
- حدیث99 49
- حدیث101 50
- حدیث102 50
- حدیث103 51
- حدیث104 51
- حدیث106 52
- حدیث105 52
- حدیث108 53
- حدیث107 53
- حدیث109 54
- حدیث110 54
- حدیث112 55
- حدیث111 55
- حدیث113 56
- حدیث114 57
- حدیث115 57
- حدیث117 58
- حدیث116 58
- حدیث118 59
- حدیث119 59
- حدیث120 63
- حدیث121 63
- حدیث123 64
- حدیث122 64
- حدیث125 65
- حدیث124 65
- حدیث127 66
- حدیث126 66
- حدیث128 67
- حدیث129 67
- حدیث130 68
- حدیث131 68
- حدیث133 69
- حدیث132 69
- حدیث134 70
- حدیث135 70
- حدیث136 71
- حدیث137 71
- حدیث139 72
- حدیث138 72
- حدیث140 73
- حدیث142 74
- حدیث141 74
- حدیث144 75
- حدیث143 75
- حدیث146 76
- حدیث145 76
- حدیث148 77
- حدیث147 77
- حدیث149 78
- حدیث150 78
- حدیث151 79
- حدیث152 79
- حدیث153 80
- حدیث154 80
- حدیث156 81
- حدیث155 81
- حدیث158 82
- حدیث157 82
- حدیث159 83
- حدیث160 83
- حدیث161 84
- حدیث162 84
- حدیث163 85
- حدیث164 85
- حدیث165 86
- حدیث166 86
- حدیث168 87
- حدیث167 87
- حدیث170 88
- حدیث169 88
- حدیث171 89
- حدیث172 89
- حدیث173 90
- حدیث174 90
- حدیث175 91
- حدیث176 91
- حدیث177 92
- حدیث178 92
- حدیث179 93
- حدیث180 93
- حدیث182 94
- حدیث181 94
- حدیث183 95
- حدیث184 95
- حدیث186 96
- حدیث185 96
- حدیث187 97
- حدیث188 97
- حدیث189 98
- حدیث190 98
- حدیث191 99
- حدیث192 99
- حدیث193 100
- حدیث194 100
- حدیث196 101
- حدیث195 101
- حدیث197 102
- حدیث199 103
- حدیث198 103
- حدیث200 104
- از201تا305 104
- حدیث203 105
- حدیث202 105
- حدیث205 106
- حدیث204 106
- حدیث206 107
- حدیث207 107
- حدیث208 108
- حدیث209 108
- حدیث210 109
- حدیث211 109
- حدیث212 110
- حدیث213 110
- حدیث214 111
- حدیث216 112
- حدیث215 112
- حدیث217 113
- حدیث218 113
- حدیث219 114
- حدیث221 115
- حدیث220 115
- حدیث222 116
- حدیث223 116
- حدیث225 117
- حدیث224 117
- حدیث227 118
- حدیث226 118
- حدیث228 119
- حدیث229 119
- حدیث230 120
- حدیث231 120
- حدیث232 121
- حدیث233 121
- حدیث234 122
- حدیث235 122
- حدیث237 123
- حدیث236 123
- حدیث239 124
- حدیث238 124
- حدیث241 125
- حدیث240 125
- حدیث243 126
- حدیث242 126
- حدیث245 127
- حدیث244 127
- حدیث246 128
- حدیث247 128
- حدیث249 129
- حدیث248 129
- حدیث251 130
- حدیث250 130
- حدیث252 131
- حدیث253 131
- حدیث254 132
- حدیث255 135
- حدیث256 135
- حدیث257 136
- حدیث258 136
- حدیث259 137
- حدیث260 138
- حدیث261 138
- حدیث263 139
- حدیث262 139
- حدیث265 140
- حدیث264 140
- حدیث266 141
- حدیث268 142
- حدیث267 142
- حدیث269 143
- حدیث270 144
- حدیث271 145
- حدیث272 146
- حدیث273 147
- حدیث274 148
- حدیث275 149
- حدیث276 150
- حدیث277 151
- حدیث278 152
- حدیث279 153
- حدیث280 154
- حدیث281 155
- حدیث282 156
- حدیث283 157
- حدیث284 158
- حدیث285 159
- حدیث286 160
- حدیث287 161
- حدیث288 162
- حدیث289 163
- حدیث290 164
- حدیث291 165
- حدیث292 166
- حدیث293 167
- حدیث294 168
- حدیث295 169
- حدیث296 170
- حدیث298 171
- حدیث297 171
- حدیث299 172
- حدیث300 173
- حدیث301 174
- حدیث302 174
- حدیث303 176
- حدیث304 177
- حدیث305 178
امام کاظم علیه السلام :
إذا مَرَّ بکَ
امام کاظم علیه السلام : هرگاه دو کار برایت پیش آمدکه ندانستی کدام یک بهتر و درست تر است، بنگر که کدام یک از آنها به هوس تو نزدیکتر است، با همان مخالفت کن؛ زیرا درست های بسیاری در مخالفت کردن با هوای نَفْست نهفته است.
فی بعض النسخ «وإذا خرّبک أمران» وخرّبه أمر : أی نزل به وأهمّه . (کما فی هامش المصدر).
حدیث130
امام کاظم علیه السلام :
لا تُعَوِّدْ عَینَیکَ کَثرَةَ النَّومِ ؛فإنّها أقَلُّ شَیءٍ فی الجَسَدِ شُکرا .
امام کاظم علیه السلام : چشمانت را به پرخوابی عادت مده؛ زیرا چشم ها ناسپاس ترین عضو بدن هستند.
تفسیر العیّاشیّ : 2 / 115 / 149.