- مقدّمه ناشر: 1
- -1 6
- -2 6
- -4 7
- -7 9
- -8 9
- -9 10
- -10 11
- -11 11
- -12 12
- -13 13
- -15 14
- -17 15
- -16 15
- -19 16
- -20 17
- -21 18
- -23 19
- -24 20
- -25 20
- -26 21
- -27 22
- -28 23
- -30 24
- -32 25
- -34 26
- -33 26
- -35 27
- -36 27
- -37 28
- -38 29
- -39 29
- -40 30
- -42 31
- -43 32
- -46 33
- -45 33
- -47 34
- -49 35
- -50 36
- -51 37
- -52 38
- -53 38
- -55 39
- -54 39
- -56 40
- -57 40
- -59 41
- -58 41
- -61 42
- -62 43
- -63 43
- -65 44
- -68 46
- -70 47
- -71 47
- -72 48
- -74 49
- -75 50
- -77 51
- -78 52
- -79 53
- -81 54
- -80 54
- -82 55
- -83 56
- -85 57
- -86 58
- -87 58
- -89 59
- -90 60
- -91 60
- -93 61
- -92 61
- -95 62
- -94 62
- -96 63
- -98 64
- -97 64
- -99 65
- -100 66
- -101 66
- -103 68
- -104 69
- -105 70
- -106 70
- -107 71
- -108 72
- -109 72
- -110 73
- -113 75
- -114 76
- -115 76
- -116 77
- -117 77
- -119 78
- -121 79
- -123 80
- -122 80
- -125 81
- -127 82
- -128 84
- -130 84
- -129 84
- -132 85
- -133 86
- -134 86
- -137 87
- -136 87
- -139 88
- -138 88
- -140 89
- -141 90
- -142 91
- -143 91
- -145 92
- -144 92
- -146 93
- -147 94
- -148 95
- -149 96
- -150 97
- -151 98
- -152 98
- -154 99
- -155 100
- -156 101
- -158 102
- -159 103
- -160 104
- -161 105
- -162 105
- -163 106
- -164 107
- -168 109
- -167 109
- -169 112
- -172 116
- -174 117
- -173 117
- -175 118
- -176 119
- -177 120
- -178 120
- -180 122
- -181 122
- -182 123
- -183 123
- -184 124
- -186 126
- -185 126
- -187 127
- -189 127
- -188 127
- -191 129
- -190 129
- -193 130
- -192 130
- -194 131
- -197 132
- -196 132
- -200 133
- -199 133
- -198 133
- -201 134
- -202 134
-3
بقره «1» الم
الف لام میم
سؤال: بهترین نظر در باره حروف مقطعه قرآن چیست ؟
پاسخ: شاید بهترین نظر در باره حروف مقطعه قرآن این باشد که قرآن، معجزه ی الهی از همین حروف الفبا تألیف یافته که در اختیار همه است، اگر می توانید شما نیز از این حروف، کلام معجزه آمیز بیاورید. آری، خداوند از حروف الفبا، کتاب معجزه نازل می کند، همچنان که از دل خاک صدها نوع میوه و گل و گیاه
می آفریند و انسان می سازد. ولی نهایتِ هنر مردم این است که از خاک و گل، خشت و آجر بسازند!
-4
بقره«2» ذَ لِکَ الکِتَابُ لاَ رَیْبَ فِیهِ هُدیً لِّلْمُتَّقِینَ
آن کتاب (با عظمت که) در (حقّانیت) آن هیچ تردیدی راه ندارد، راهنمای پرهیزگاران است.
سؤال: اگر قرآن بنابر آیه 185 سوره بقره ، وسیله هدایت همه مردم است چرا در در این آیه می فرماید: «هُدی لِّلْمُتَّقِینَِ»؟
پاسخ: آری، قرآن وسیله هدایت همه مردم است؛ «هدی للنّاس» همانند خورشید بر همه می تابد، ولی تنها کسانی از آن بهره می جویند که فطرتِ پاک داشته و در برابر حقّ خاضع باشند؛ «هدی للمتّقین» همچنان که نور خورشید، تنها از شیشه ی تمیز عبور می کند، نه از خشت وگِل. لذا فاسقان، ظالمان، کافران، دل مردگان، مسرفان و تکذیب کنندگان از هدایت قرآن بهره مند نمی شوند.