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تفسير عاملى

جلد اول

(سوره بقره)

[سوره البقرة(2): آيات 1 تا 5] [سوره البقرة(2): آيات 6 تا 7] [سوره البقرة(2): آيات 8 تا 20] [سوره البقرة(2): آيات 21 تا 25] [سوره البقرة(2): آيه 26] [سوره البقرة(2): آيات 27 تا 29] [سوره البقرة(2): آيات 30 تا 33] [سوره البقرة(2): آيات 34 تا 39] [سوره البقرة(2): آيات 40 تا 46] [سوره البقرة(2): آيات 47 تا 48] [سوره البقرة(2): آيه 49] [سوره البقرة(2): آيات 50 تا 54] [سوره البقرة(2): آيات 55 تا 59] [سوره البقرة(2): آيات 60 تا 61] [سوره البقرة(2): آيات 62 تا 66] [سوره البقرة(2): آيات 67 تا 71] [سوره البقرة(2): آيات 72 تا 74] [سوره البقرة(2): آيات 75 تا 77] [سوره البقرة(2): آيات 78 تا 82] [سوره البقرة(2): آيات 83 تا 86] [سوره البقرة(2): آيات 87 تا 90] [سوره البقرة(2): آيات 91 تا 92] [سوره البقرة(2): آيات 93 تا 96] [سوره البقرة(2): آيات 97 تا 103] [سوره البقرة(2): آيات 104 تا 107] [سوره البقرة(2): آيات 108 تا 110] [سوره البقرة(2): آيات 111 تا 113] [سوره البقرة(2): آيه 114] [سوره البقرة(2): آيه 115] [سوره البقرة(2): آيات 116 تا 121] [سوره البقرة(2): آيات 122 تا 123] [سوره البقرة(2): آيه 124] [سوره البقرة(2): آيات 125 تا 126] [سوره البقرة(2): آيات 127 تا 134] [سوره البقرة(2): آيه 135] [سوره البقرة(2): آيات 136 تا 138] [سوره البقرة(2): آيات 139 تا 141] [سوره البقرة(2): آيات 142 تا 143] [سوره البقرة(2): آيات 144 تا 147] [سوره البقرة(2): آيات 148 تا 152] [سوره البقرة(2): آيات 153 تا 157] [سوره البقرة(2): آيات 158 تا 162] [سوره البقرة(2): آيات 163 تا 164] [سوره البقرة(2): آيات 165 تا 167] [سوره البقرة(2): آيات 168 تا 170] [سوره البقرة(2): آيه 171] [سوره البقرة(2): آيات 172 تا 173] [سوره البقرة(2): آيات 174 تا 176] [سوره البقرة(2): آيه 177] [سوره البقرة(2): آيات 178 تا 179] [سوره البقرة(2): آيات 179 تا 182] [سوره البقرة(2): آيات 183 تا 185] [سوره البقرة(2): آيات 186 تا 187] [سوره البقرة(2): آيه 188] [سوره البقرة(2): آيه 189] [سوره البقرة(2): آيات 190 تا 195] [سوره البقرة(2): آيات 196 تا 197] [سوره البقرة(2): آيات 198 تا 203] [سوره البقرة(2): آيات 204 تا 207] [سوره البقرة(2): آيات 208 تا 210] [سوره البقرة(2): آيات 211 تا 212] [سوره البقرة(2): آيه 213] [سوره البقرة(2): آيه 214] [سوره البقرة(2): آيه 215] [سوره البقرة(2): آيه 216] [سوره البقرة(2): آيات 217 تا 218] [سوره البقرة(2): آيات 219 تا 220] [سوره البقرة(2): آيه 221] [سوره البقرة(2): آيات 222 تا 223] [سوره البقرة(2): آيات 224 تا 225] [سوره البقرة(2): آيات 226 تا 227] [سوره البقرة(2): آيه 228] [سوره البقرة(2): آيه 229] [سوره البقرة(2): آيات 230 تا 231] [سوره البقرة(2): آيه 232] [سوره البقرة(2): آيه 233] [سوره البقرة(2): آيات 234 تا 235] [سوره البقرة(2): آيات 236 تا 237] [سوره البقرة(2): آيات 238 تا 239] [سوره البقرة(2): آيات 240 تا 242] [سوره البقرة(2): آيه 243] [سوره البقرة(2): آيه 244] [سوره البقرة(2): آيه 245] [سوره البقرة(2): آيات 246 تا 247] [سوره البقرة(2): آيات 248 تا 252] [سوره البقرة(2): آيه 253] [سوره البقرة(2): آيه 254] [سوره البقرة(2): آيه 255] [سوره البقرة(2): آيه 256] [سوره البقرة(2): آيه 257] [سوره البقرة(2): آيات 258 تا 259] [سوره البقرة(2): آيه 260] [سوره البقرة(2): آيات 261 تا 264] [سوره البقرة(2): آيات 265 تا 266] [سوره البقرة(2): آيه 267] [سوره البقرة(2): آيات 268 تا 269] [سوره البقرة(2): آيه 270] [سوره البقرة(2): آيه 271] [سوره البقرة(2): آيات 272 تا 273] [سوره البقرة(2): آيه 274] [سوره البقرة(2): آيات 275 تا 277] [سوره البقرة(2): آيات 278 تا 280] [سوره البقرة(2): آيه 281] [سوره البقرة(2): آيات 282 تا 283] [سوره البقرة(2): آيه 284] [سوره البقرة(2): آيات 285 تا 286]

جلد دوم

سوره آل عمران

[سوره آل‏عمران(3): آيات 1 تا 9] [سوره آل‏عمران(3): آيات 10 تا 13] [سوره آل‏عمران(3): آيه 14] [سوره آل‏عمران(3): آيات 15 تا 17] [سوره آل‏عمران(3): آيات 18 تا 20] [سوره آل‏عمران(3): آيات 21 تا 22] [سوره آل‏عمران(3): آيات 23 تا 25] [سوره آل‏عمران(3): آيات 26 تا 27] [سوره آل‏عمران(3): آيات 28 تا 30] [سوره آل‏عمران(3): آيات 31 تا 32] [سوره آل‏عمران(3): آيات 33 تا 37] [سوره آل‏عمران(3): آيات 38 تا 41] [سوره آل‏عمران(3): آيات 42 تا 43] [سوره آل‏عمران(3): آيه 44] [سوره آل‏عمران(3): آيات 45 تا 51] [سوره آل‏عمران(3): آيات 52 تا 58] [سوره آل‏عمران(3): آيات 59 تا 63] [سوره آل‏عمران(3): آيات 64 تا 68] [سوره آل‏عمران(3): آيات 69 تا 74] [سوره آل‏عمران(3): آيات 75 تا 77] [سوره آل‏عمران(3): آيه 78] [سوره آل‏عمران(3): آيات 79 تا 80] [سوره آل‏عمران(3): آيات 81 تا 83] [سوره آل‏عمران(3): آيات 84 تا 85] [سوره آل‏عمران(3): آيات 86 تا 89] [سوره آل‏عمران(3): آيات 90 تا 91] [سوره آل‏عمران(3): آيه 92] [سوره آل‏عمران(3): آيات 93 تا 95] [سوره آل‏عمران(3): آيات 96 تا 97] [سوره آل‏عمران(3): آيات 98 تا 99] [سوره آل‏عمران(3): آيات 100 تا 103] [سوره آل‏عمران(3): آيات 104 تا 107] [سوره آل‏عمران(3): آيات 108 تا 109] [سوره آل‏عمران(3): آيات 110 تا 112] [سوره آل‏عمران(3): آيات 113 تا 115] [سوره آل‏عمران(3): آيات 116 تا 117] [سوره آل‏عمران(3): آيات 118 تا 120] [سوره آل‏عمران(3): آيات 121 تا 129] [سوره آل‏عمران(3): آيات 130 تا 136] [سوره آل‏عمران(3): آيات 137 تا 141] [سوره آل‏عمران(3): آيات 142 تا 148] [سوره آل‏عمران(3): آيات 149 تا 151] [سوره آل‏عمران(3): آيات 152 تا 155] [سوره آل‏عمران(3): آيات 156 تا 158] [سوره آل‏عمران(3): آيات 159 تا 160] [سوره آل‏عمران(3): آيات 161 تا 164] [سوره آل‏عمران(3): آيات 165 تا 168] [سوره آل‏عمران(3): آيات 169 تا 175] [سوره آل‏عمران(3): آيات 176 تا 179] [سوره آل‏عمران(3): آيات 180 تا 184] [سوره آل‏عمران(3): آيات 185 تا 186] [سوره آل‏عمران(3): آيات 187 تا 189] [سوره آل‏عمران(3): آيات 190 تا 195] [سوره آل‏عمران(3): آيات 196 تا 200]
فهرست مطالب

جلد سوم

تتمه سوره نساء

[سوره النساء(4): آيات 58 تا 59] [سوره النساء(4): آيات 60 تا 63] [سوره النساء(4): آيات 64 تا 65] [سوره النساء(4): آيات 66 تا 68] [سوره النساء(4): آيات 69 تا 70] [سوره النساء(4): آيات 71 تا 73] [سوره النساء(4): آيات 74 تا 76] [سوره النساء(4): آيات 77 تا 79] [سوره النساء(4): آيات 80 تا 82] [سوره النساء(4): آيه 83] [سوره النساء(4): آيه 84] [سوره النساء(4): آيات 85 تا 87] [سوره النساء(4): آيات 88 تا 91] [سوره النساء(4): آيات 92 تا 93] [سوره النساء(4): آيه 94] [سوره النساء(4): آيات 95 تا 96] [سوره النساء(4): آيات 97 تا 100] [سوره النساء(4): آيات 101 تا 103] [سوره النساء(4): آيه 104] [سوره النساء(4): آيات 105 تا 113] [سوره النساء(4): آيات 114 تا 115] [سوره النساء(4): آيات 116 تا 122] [سوره النساء(4): آيات 123 تا 126] [سوره النساء(4): آيات 127 تا 130] [سوره النساء(4): آيات 131 تا 134] [سوره النساء(4): آيات 135 تا 136] [سوره النساء(4): آيات 137 تا 141] [سوره النساء(4): آيات 142 تا 147] [سوره النساء(4): آيات 148 تا 149] [سوره النساء(4): آيات 150 تا 152] [سوره النساء(4): آيات 153 تا 159] [سوره النساء(4): آيات 160 تا 162] [سوره النساء(4): آيات 163 تا 166] [سوره النساء(4): آيات 167 تا 170] [سوره النساء(4): آيات 171 تا 173] [سوره النساء(4): آيات 174 تا 175] [سوره النساء(4): آيه 176]

سوره مائده

[سوره المائدة(5): آيات 1 تا 2] [سوره المائدة(5): آيات 3 تا 5] [سوره المائدة(5): آيات 6 تا 7] [سوره المائدة(5): آيات 8 تا 11] [سوره المائدة(5): آيات 12 تا 14] [سوره المائدة(5): آيات 15 تا 16] [سوره المائدة(5): آيات 17 تا 19] [سوره المائدة(5): آيات 20 تا 26] [سوره المائدة(5): آيات 27 تا 32] [سوره المائدة(5): آيات 33 تا 34] [سوره المائدة(5): آيات 35 تا 37] [سوره المائدة(5): آيات 38 تا 40] [سوره المائدة(5): آيات 41 تا 46] [سوره المائدة(5): آيات 44 تا 47] [سوره المائدة(5): آيات 48 تا 50] [سوره المائدة(5): آيات 51 تا 53] [سوره المائدة(5): آيات 54 تا 56] [سوره المائدة(5): آيات 57 تا 63] [سوره المائدة(5): آيات 64 تا 66] [سوره المائدة(5): آيات 67 تا 69] [سوره المائدة(5): آيات 70 تا 75] [سوره المائدة(5): آيات 76 تا 81] [سوره المائدة(5): آيات 82 تا 86] [سوره المائدة(5): آيات 87 تا 88] [سوره المائدة(5): آيه 89] [سوره المائدة(5): آيات 90 تا 93] [سوره المائدة(5): آيات 94 تا 100] [سوره المائدة(5): آيات 101 تا 105] [سوره المائدة(5): آيات 106 تا 109] [سوره المائدة(5): آيات 110 تا 115] [سوره المائدة(5): آيات 116 تا 120]

سوره‏ى انعام

[سوره الأنعام(6): آيات 1 تا 3] [سوره الأنعام(6): آيات 4 تا 6] [سوره الأنعام(6): آيات 7 تا 9] [سوره الأنعام(6): آيات 10 تا 11] [سوره الأنعام(6): آيات 12 تا 19] [سوره الأنعام(6): آيات 20 تا 24] [سوره الأنعام(6): آيات 25 تا 26] [سوره الأنعام(6): آيات 27 تا 28] [سوره الأنعام(6): آيات 29 تا 32] [سوره الأنعام(6): آيات 33 تا 35] [سوره الأنعام(6): آيات 36 تا 37] [سوره الأنعام(6): آيات 38 تا 39] [سوره الأنعام(6): آيات 40 تا 45] [سوره الأنعام(6): آيات 46 تا 49] [سوره الأنعام(6): آيات 50 تا 53] [سوره الأنعام(6): آيات 54 تا 55] [سوره الأنعام(6): آيات 56 تا 58] [سوره الأنعام(6): آيات 59 تا 62] [سوره الأنعام(6): آيات 63 تا 64] [سوره الأنعام(6): آيات 65 تا 67] [سوره الأنعام(6): آيات 68 تا 70] [سوره الأنعام(6): آيات 71 تا 73] [سوره الأنعام(6): آيات 74 تا 79] [سوره الأنعام(6): آيات 80 تا 83] [سوره الأنعام(6): آيات 84 تا 90] [سوره الأنعام(6): آيات 91 تا 92] [سوره الأنعام(6): آيات 93 تا 94] [سوره الأنعام(6): آيات 95 تا 99] [سوره الأنعام(6): آيات 100 تا 103] [سوره الأنعام(6): آيات 104 تا 107] [سوره الأنعام(6): آيات 108 تا 110] [سوره الأنعام(6): آيات 111 تا 113] [سوره الأنعام(6): آيات 114 تا 115]
فهرست مطالب

جلد چهارم

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جلد پنجم

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مجلد ششم

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مجلد هفتم

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جلد هشتم

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تفسير عاملى


صفحه قبل

تفسير عاملى، ج‏1، ص: 237

باز هم براى رهبر و پيشواى يك ملّت كه چنين موقعيّتى را ميديد لازم بود. آن را تثبيت و تقويت كند. و البتّه مصلحت مرموزى كه درك آن براى ما ممكن نيست موجب بقاى اين حكم شده است براى هميشه. 2- بآيت 59 «إِنَّ الَّذِينَ يَكْتُمُونَ» يك مطلب بسيار مهمّ يادآورى شده است كه: مجازات كتمان حقّ و حقيقت پوشى باشد و بزرگترين وظيفه‏ى اجتماعى انسان يادآورى شده است كه از ابراز حقّ خوددارى نكنيد چون پاداش كتمان حقّ لعنت و محروميّت ابدى است و بالاتر از آن مجازاتى متصوّر نيست.

3- آيت 60 «إِلَّا الَّذِينَ تابُوا» مسئله‏ى توبه را ياد ميآورد كه براى بازگشت از خطا هميشه راه باز است و بايد انسان نااميد نباشد و پى توبه و چاره‏جوئى باشد و بخصوص با دو كلمه‏ى «توّاب» و «رحيم» شدّت اهميّت توبه يادآورى شده است كه توبه بازگشت از كجى است براستى و ارتباط شخص منحرف است باستقامت و راستى لا يزال كه انسان را موجودى راست و راستگو و راست كردار آفريده است و چون آهنگ راستى كند باصل خود پيوسته خواهد شد كه نهاد مستقيم او است.

پس همه‏ى آدميان مى‏توانند راستى را از آفريننده‏ى خود الهام گيرند با اين تفاوت كه بعضى ازين نعمت امكان الهام استفاده مى‏كنند و بعضى خود را محروم دارند.

تفسير عاملى، ج‏1، ص: 238

[سوره البقرة (2): آيات 163 تا 164]

وَ إِلهُكُمْ إِلهٌ واحِدٌ لا إِلهَ إِلاَّ هُوَ الرَّحْمنُ الرَّحِيمُ (163) إِنَّ فِي خَلْقِ السَّماواتِ وَ الْأَرْضِ وَ اخْتِلافِ اللَّيْلِ وَ النَّهارِ وَ الْفُلْكِ الَّتِي تَجْرِي فِي الْبَحْرِ بِما يَنْفَعُ النَّاسَ وَ ما أَنْزَلَ اللَّهُ مِنَ السَّماءِ مِنْ ماءٍ فَأَحْيا بِهِ الْأَرْضَ بَعْدَ مَوْتِها وَ بَثَّ فِيها مِنْ كُلِّ دَابَّةٍ وَ تَصْرِيفِ الرِّياحِ وَ السَّحابِ الْمُسَخَّرِ بَيْنَ السَّماءِ وَ الْأَرْضِ لَآياتٍ لِقَوْمٍ يَعْقِلُونَ (164)

معنى لغات: «الْفُلْكِ» كشتى. «تَجْرِي» از مصدر جرى بمعنى روان شدن و راه رفتن. «بَثَّ» از مصدر بثّ بفتح باو تشديد ثا بمعنى جدا كردن و پراكندن. «تَصْرِيفِ» تغيير دادن و دگرگون كردن «سحاب» ابر «مسخر» از مصدر تسخير بمعنى خوار كردن و زير فرمان آوردن و بيگار فرمودن.

جهت نزول:

مجمع: از ابن عباس نقل است: اعراب به پيغمبر عرض كردند چگونگى خدا و پدر و مادر او را براى ما روشن كن. آيت 163 بجواب آنها نازل شد.

ترجمه:

163 خداى شما يگانه‏اى است بخشنده و مهربان كه جز او آفريننده‏اى نباشد.

جهت نزول:

كشف: ابن عبّاس گفته است: چون كافران آيت پيش را شنيدند گفتند: عجب است كه يك خدا باشد پس نشانه‏اى باين گفته بياور و نيز گفته‏اند كه يهود گفتند: بمانند پيغمبران گذشته معجزه‏اى بما بنما. آيت 164 بجواب آنها نازل شد.

ترجمه:

164 همانا در آفرينش آسمانها و زمين و دوگونگى شب و روز و ساختن كشتى كه بسود مردم روى دريا روان است و آبى كه خدا از آسمان فرود آورد و موجودات بيجان زمينى را بدان زنده كند و ز هر جنبنده‏اى بر زمين پراكنده نمايد، و

تفسير عاملى، ج‏1، ص: 239

دگرگون كردن بادها و ابرهاى سر بفرمان در ميان زمين و آسمان هر يك نشانه‏اى است [بر آفريدگار جهان‏] براى مردمى كه با خرد هستند و مى‏سنجند.

سخن مفسّرين:

إِلهُكُمْ إِلهٌ واحِدٌ - 163 ابو الفتوح: اله بمعنى مألوه است يعنى معبود و پرستش شده. 1- خداى شما يكى است كه مثل و همانند ندارد. 2- خداى شما كه شايسته‏ى پرستش و ستايش است يك منحصر بفرد است كه ديگرى قابل پرستش نيست. 3- خداى شما مثل چيزهائى كه ديده‏ايد و شنيده‏ايد نيست بلكه يكى است كه نه جزء و پاره در او تصوّر دارد و نه تجزيه و تقسيم او متصوّر است. 4- در صفات يكى است كه آفريدن و قدرت داشتن و هر آنچه صفات او را دانسته‏اند منحصر باوست كه در ديگرى نيست.

لا إِلهَ إِلَّا هُوَ - 163 فخر: در كلمه‏ى هو بحث مفصلّى كرده است كه اينك خلاصه‏ى آن: اين كلمه از تمام الفاظى كه نام و وصف خدا است بليغ‏تر است چون مفاد هر كلمه‏اى مستلزم تركيب است و با يگانگى خداوند مناسب نيست ولى مفاد لفظ هو بسيط است، و يك حقيقت بى جزء و قيد را نشان مى‏دهد پس مناسب‏ترين اسم‏هاى خدا است.

روح البيان: كلمه‏ى هو در نظر اهل حقيقت فقط اسم است كه معنى ديگر براى آن نيست و از اين جهت گفته‏اند «عالم الهوية باللّام» يعنى الف و لام در كلمه‏ى «الهويّة» براى نشان دادن عالم و تمام مخلوقات است و مقصود از اين كلمه آن است كه كلمه‏ى هو نام واجب الوجود است و موجودات داراى شخصيّت و هويّت محدود هستند پس كلمه‏ى «الهويّة» كه شامل موجودات مى‏شود بمناسبت الف و لام آن است كه ساير موجودات را مى‏فهماند چون كلمه‏ى هو مبدأ و واجب الوجود را مى‏فهماند و الف و لام موجودات و ممكنات را پس عالم هويّت و موجوديّت بواسطه‏ى الف و لام است كه پيوسته‏ى به هو شده‏

تفسير عاملى، ج‏1، ص: 240

است. مثنوى:

از هواها كى رهى بيجام هو

اى ز هو قانع شده با نام هو

هيچ نامى بى‏حقيقت ديده‏اى‏

يا ز گاف و لام گل گل چيده‏اى؟

اسم خواندى رو مسمّى را بجو

نه ببالا دان نه اندر آب جو

گر ز نام و حرف خواهى بگذرى‏

پاك كن خود را از خود هان يكسرى‏

همچو آهن زا همى بيرنگ شو

در رياضت آينه بيزنگ شو

خويش را صافى كن از اوصاف خود

تا ببينى ذات پاك صاف خود

بينى اندر دل علوم انبياء

بى كتاب و بى‏معيد «1» و اوستا

علم كان نبود ز هو بيواسطه‏

آن نپايد همچو رنك ماشطه‏

الرَّحْمنُ الرَّحِيمُ‏ - 163 كشف نوشته است: رحمان است كه چون از وى خواهد بدهد رحيم است كه چون نخواهد خشم گيرد. و در خبر است چون كسى از خدا چيزى نخواهد بر او خشم گيرد. رحمان است كه طاعت بنده قبول كند گرچه خرد بود. رحيم است كه معاصى بيامرزد گرچه بزرگ بود. رحمان است كه بيارايد و صورت بنگارد. رحيم است كه باطن آبادان دارد و دلها در قبضه‏ى خويش نگاهدارد. رحمان است كه لطايف انوار در روى تو پيدا كند رحيم است كه ودائع اسرار در دل تو وديعت نهد.

إِنَّ فِي خَلْقِ السَّماواتِ وَ الْأَرْضِ‏ - 164 كاشانى: آيت سابق در توحيد ذات بود كه در مرتبه و ارزش مقدّم است بر توحيد افعال و بايد جلوتر باشد. و چون فهم و تصديق آن براى بشر مشگل است بوسيله‏ى اين آيه كه توحيد افعال را نشان ميدهد، توحيد ذات را بيان مى‏كند يعنى از راه شناساندن‏

(1) بهترين شاگردها كه مطالب استاد را براى بقيه‏ى شاگردها اعاده و تكرار مى‏كند، و اين جور شخص را در درس فقه و اصول مقرّر مى‏نامند كه امروز بنام دانشيار است.

تفسير عاملى، ج‏1، ص: 241

كارهاى خداوند و نمايش انواع آفريده‏ها مى‏فهماند كه آفريننده‏ى آنها واحد است و يك. و اين را توحيد افعالى مينامند و اين توحيد افعالى كه شناسائى حقّ تعالى است از طريق شناخت آفرينش و خلقت موجب و رهبر مى‏شود بتوحيد ذاتى كه تصديق كنيم ذات آفريننده يكتا است و بى‏همتا.

فخر: چهارده دليل بر اثبات توحيد از طريق مطالعه‏ى در خصوصيّات كرات و آسمانها نوشته است: دليل هفتمش اين است كه هر يك ازين كرات و آسمانها كه در بالاى سر خود مى‏بينيم حركات مختلف و متعدد دارند و يا اينكه همه‏ى اطراف نسبت باينها بى‏تفاوت است و جهات شش گانه نسبت باين اجسام خصوصيّت ندارد كه بعضى بطرف بالا و بعضى پائين و بعضى بطرف جنوب و بعضى بطرف شمال و بعضى از مشرق بمغرب و بعضى از مغرب بمشرق حركت مى‏كنند پس اين تفاوتها مربوط بتدبّر و اراده‏ى خارج از آنهاست. نظير همين استدلال را در خصوص زمين مى‏آورد كه تغيير و تبديل اجزاى زمين دليل است كه اراده‏اى خارج از آن اين تغييرات را ايجاد مى‏كند.

كشف نوشته است: خداوند عالم در اين آيت خلق را بخود راه مى‏نمايد تا در عجايب ملكوت آسمان و زمين در صنايع برّ و بحر نگرند و صانع را بشناسند. نظر عوام بمصنوعات است نظر خواصّ بصفات است نظر انبياء و خاصّ الخاصّ بذات است.

عامّه‏ى مؤمنان بصانع نگرند از صنع بصانع رسند خواص مؤمنان صفات بدانند از صفات بموصوف رسند و از اسم با مسمّى امّا پيغامبران و صدّيقان او را هم باو شناسند نه بغير او.

از وى بوى نگرند نه از غير وى باو. اشارت باين حالت آن است كه اللّه گفت: «أَ لَمْ تَرَ إِلى‏ رَبِّكَ كَيْفَ مَدَّ الظِّلَّ» نگفت بسايه نگر تا صنع ما بينى گفت بما نگر تا صنع ما بينى.

طنطاوى: پس از آنكه گفت: «إِلهُكُمْ إِلهٌ واحِدٌ» در دنباله‏اش نظام معيّن موجودات را كه داراى يك مزاج و يك تربيت است بيان كرده است و گفته است: حقيقت توحيد را نمى‏توانيد دريابيد مگر آنكه با علوم سر و كار پيدا كنيد و بخوانيد و تفكر كنيد و اشكال منظم موجودات را درك كنيد تا طرز تركيب و جسم آنها را بشناسيد و از معرفت‏

تفسير عاملى، ج‏1، ص: 242

اينها آفريننده‏ى آن را بشناسيد كه تدبير و نقشه‏ى آن از يكى است و بس.

عبده: موجودات آسمانى دسته‏هاى مختلفى هستند كه هر كدام داراى نظم و روش مخصوص هستند كه در آن نظم نقصى نيست و نظم هيچيك ناسازگار با نظم ديگرى نيست و هر يك پيوسته با روش مخصوص برگذار مى‏كند و همگى داراى يك نظم كلّى عمومى هستند اين دليل است كه همه از يك اراده‏اى بى‏شريك آفريده شده است.

وَ اخْتِلافِ اللَّيْلِ وَ النَّهارِ - 164 عبده: اين آيه بعد از آيت خلق آسمان و زمين براى فهماندن اين است كه اختلاف در نتيجه‏ى برابرى خورشيد است با زمين و حركت آن است در برابر زمين و اين اختلاف و منافع و استفاده‏هاى بشر از آن، همگى نشانه‏اى است بر يك ايجاد كننده‏ى اين نظم معيّن.

وَ الْفُلْكِ الَّتِي تَجْرِي فِي الْبَحْرِ - 164 فخر: از راهنمائيهاى بر توحيد، ساختمان كشتى است. و احتياج عدّه‏اى از بشر بزندگانى و مسافرت با كشتى و اثر بادها كه وسيله‏ى حركت كشتى مى‏شود و مجموعه‏ى اينها مولود نظم و تدبير است.

وَ ما أَنْزَلَ اللَّهُ‏ تا آخر- 164 فخر: اين جمله‏ها فصيحترين كلامى است كه با اختصار، معانى متعدّد حيات نباتات را يادآورى مى‏كند.

كشف الاسرار نوشته است: چون باران بزمين رسد و آن زمين مرده زنده شود بجنبد و شكافته گردد و از آن انواع نبات و اصناف درختان برآيد. بار لختى حلوا بار لختى روغن بار لختى دارو و لختى ترش. بار لختى شيرين لختى خوردن را و لختى پيرايه را و لختى هم ميوه و هم روغن. لختى غذاء آدميان لختى غذاى ستوران لختى غذاى مرغان. عاقل چون در نگرد داند كه اين ساخته را سازنده‏اى است و آراسته را آراينده‏اى و رسته را روياننده‏

تفسير عاملى، ج‏1، ص: 243

اى، هر يكى بر هستى اللّه گواه و او را يگانگى وى نشان:

در صنع اله بى‏عدد برهان است‏

در برگ گلى هزار گون دستانست .

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